बधाइयों का तांता लगा हुआ था । इधर मोबाइल की
घंटी रुकने का नाम नहीं ले रही थी, उधर लोगों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा था ।
सिंह-कुटीर आज अपने शबाब पर था । चारों तरफ फूलों की झालरें लगाई गई थीं । नकली
इत्र के छिड़काव से कोना-कोना महक रहा था । अंदर ड्राइंग रूम में मिठाइयों को ट्रे
की जगह परातों में सजाया गया था । शर्बत और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें बाहर कार्टनों
में रखी हुई थीं और फ्रिज में जाने की वेटिंग लिस्ट में चल रही थीं ।
‘भई, सब तैयारी तो हो गई
है न?’ उन्होंने
पत्नी को आवाज लगाई थी, ‘देखना,
कुछ रह न जाए । मैंने मीडिया वालों को फोन कर दिया है...वे आते ही होंगे ।’
हुआ ये था कि
उनकी बेटी राज्य वाले बोर्ड से पास हो गई थी । इंटरमीडिएट की परीक्षा में पूरे
इलाके में वह टॉप आई थी । इस खबर को उन्होंने दावानल की तरह पूरे शहर में फैला
दिया था । प्रतिष्ठा को चार-चाँद लगाने के लिए मीडिया को खबर देना सर्वथा उचित था
। वैसे भी मीडिया इस तरह की खबरों को सूँघ ही लेती है । अधिक नंबर आए हैं, इस खबर
को सुनकर कम; लेकिन मीडिया आ रही है, इस खबर को सुनकर अधिक लोग इकट्ठा हो गए थे ।
थोड़ी ही देर में
मीडिया वाले पहुँच गए । कैमरा ऑन होते ही लोग अपनी भाव-भंगिमाओं को दुरूस्त कर
पोजीशन लेने लगे । कैमरा मैन उन्हें ठेलते हुए लड़की के पास पहुँच गया । ऑर यू
रेडी-ऑर यू रेडी की दो-चार प्रोत्साहन-मंत्र के बाद इंटरव्यू शुरु हो गया । ‘हाँ तो, अब आपको कैसा फील हो रहा है?’
ʻहमें तो अच्छा लग रहा है, पर पापा बहुत
खुश हैं । उन्होंने बहुत दौड़-भाग की थी परीक्षा के वक्त ।’
‘आप आगे चलकर क्या बनना चाहती हैं?’
‘मैं तो आईएएस बनना चाहती हूँ ।’ ‘आईएएस ही क्यों?’
‘आईएएस बनकर मैं देश-सेवा करना चाहती हूँ ।’ ‘देश-सेवा के लिए और भी तो क्षेत्र हैं ।’
‘पर यहाँ प्रतिष्ठा और पैसा है जी...हनक के साथ खनक !’ इस
बार बेटी के पापा ने जवाब दिया था ।
अभी अगला प्रश्न
आता कि कोई और आ गया था...विघ्न के साथ । शर्मा जी हक्के-बक्के से अंदर घुस आए थे
। आते ही वह बोले, ‘हद हो गई यार ! मीडिया
सात सीजीपीए वाली की इंटरव्यू ले रही है और उधर मेरी बेटी नौ पाकर यूँ ही बैठी
मक्खियां मार रही है ।’
‘इनकी बेटी ने इंटरमीडिएट में टॉप किया है ।’ यह मीडियाकर्मी की आवाज थी । उधर वह आसमान की तरफ ऐसे देखने लगे थे, जैसे
कोई भगाया हुआ मच्छर किसी इंसान की तरफ देखता है...गुस्से में लाल-लाल आँखों से ।
‘मजाक मत कीजिए साहब, यह तो हमारी बेटी के साथ ʻउसʼ वाले बोर्ड से इस साल दसवीं में थी ।’ शर्मा जी ने विस्फोट कर दिया था । अब सन्न होने की बारी उपस्थित लोगों और
मीडिया की थी ।
सभी को यह समझते
देर न लगी कि यहाँ तक पहुँचने के लिए किस तरह पापड़ बेले गए होंगे । मीडिया
पोल-खोल की धमकी देती निकल गई...आनन-फानन में । अब वहाँ लगभग सन्नाटा था...थू-थू
की कभी-कभार आती आवाजों के बीच । मिठाई पर मक्खियां भिनभिनाने लगी थीं ।