जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

रविवार, 28 मई 2017

गरीब-गुरबा पर सीबीआई की रेड

                  

 
चित्र साभार- cariblah.wordpress.com
      अचानक जैसे ही टीवी चैनलों ने ब्रेकिंग न्यूज चलाना शुरू किया, मेरे कुछ पल के आराम को ब्रेक लग गया । ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी कि चालू नेता के अलग-अलग ठिकानों पर सीबीआई की रेड हुई है । कई लोग यह समझने की भूल कर सकते हैं कि अगर नेता चालू है, तो यह तो होना ही था उसके साथ । मगर यह भूल स्वीकार नहीं । अरे भई, चाल-चरित्र से वह चालू है या नहीं, यह लेखा-जोखा तो उसके वोटर समझें । मैं तो इतना जानता हूँ कन्फर्म कि वह नाम से चालू है । वैसे भी अगर नाम से काम का गठजोड़ होता, तो कई दारोगा चोर नहीं बने होते और सिंकिया सिंह नामी पहलवान बन खम नहीं ठोंकते ।
      कैमरामैन को लेकर मैं तत्काल ही निकल पड़ा चालू नेता के आलीशान मकान की तरफ । नेताजी के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं, पर हमें देखते ही वह हवा-हवाई हो गई । गिरगिट की तरह जो रंग नहीं बदल सकता, वह चालू के स्तर का नेता भी नहीं बन सकता । यहाँ तो हमारा सामना चालू नेता से ही था । कछु सूँघ लिया है का कि चप्पल रगड़ते चले आए हमरे आवास पर? अरे, हमका भी तो बतलाइए ।’ हवाई के स्थान पर अब नरमाई आ गई थी चेहरे पर उनके । वह हमें इशारा करते हुए अपने शानदार कान्फ्रेंस हॉल की ओर बढ़ गए ।
   अंदर पहुँचकर एक कुर्सी पर बैठते ही मैंने पूछा, ‘क्या सचमुच आपको नहीं पता कि आपके गुप्त ठिकानों पर सीबीआई की रेड हुई है?’
   ‘हम कछु नहीं जानते ।’ उन्होंने अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए कहा, हम तो आपके मुँह से सुन रहे हैं । मगर यह रेड हुई किस बात के लिए है?’
   ‘आपके हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति को लेकर यह सब किया गया है । आरोप है कि आपने अपना काला धन भी जमके सफेद किया है ।’
   ‘का, इतना सब हो गया हमरे साथ !’ वह आश्चर्य के लिए आँखें चौड़ी करते हुए चीखकर बोले, ‘और हमको अब खबर हो रही है । इ तो सरासर धोखा है हमरे साथ । पिछली सरकार तो कछु करने से पहले हमरी अनुमति लिया करती थी । इ लोग हमको बिना बताए कर दिए । सचमुच अहंकारी सरकार है यह ।’
   ‘आप अपनी बेनामी संपत्तियों के बारे में क्या कहना चाहेंगे?’ मैंने इस पर उनकी राय जानने की कोशिश की ।
   ‘इ तो सरासर साजिश है हमरे खिलाफ । हम फासीवादी ताकतों के खिलाफ बोलता हूँ, एही लिए इ साजिश रची गई है । सरकार हमरा मुँह बंद करना चाहती है ।’
   ‘आपका मतलब है कि सरकार साजिश करके आपको संपत्तिवान बनाना चाहती है । वास्तव में आपके पास कोई संपत्ति नहीं है ।’
   ‘हाँ एतना ही नहीं,’ उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘इ गरीब-गुरबा के ऊपर हमला है । हम गरीब-गुरबा का नेता हूँ । हम पर हमला... मतलब गरीब-गुरबा पर हमला ।’
   ‘यहाँ तो सीधे-सीधे आपके ऊपर रेड पड़ी है । गरीब कहाँ से आ गया बीच में?’ मैंने उनकी बात काटने की कोशिश करते हुए कहा ।
   ‘आप तो जबरजोरी किए जा रहे हैं ।’ उनके चेहरे पर क्रोध के भाव थे । वह तमतमाते हुए बोले, ‘आप तो हमरे और गरीब-गुरबा के बीच में दरार डालना चाहते हैं, पर हम बता देना चाहता हूँ कि कोई भी सफल नहीं होगा । हम गरीब-गुरबा का नेता था, हूँ और हमेशा रहूँगा ।’
   ‘चलिए, किसी भी एक गरीब का नाम बताइए, जिसकी आपने सेवा की हो और वह उसके बाद से गरीब नहीं रहा हो ।’ शायद मेरे शब्दों से चुनौती के भाव उभर आए थे ।
   ‘क्या कहा आपने?...गरीब नहीं रहा ! यही तो मंशा है सरकार की । वह चाहती है कि गरीब नहीं रहे । वह गरीबों को मारकर हमको मारना चाहती है । पर हम चालू हूँ । जब तक समोसे में आलू रहेगा, भरोसे में तब तक ये चालू रहेगा ।’
   ‘आप गरीब-गरीब करते हैं, नसीब-नसीब की भी तो बात करिए । कहाँ उनका नसीब और कहाँ आपका । उनका भोजन तो जगजाहिर है, पर आपके छप्पन भोग...’
चित्र साभार- twitter.com
   ‘इ तो एकदम्मे पोपट वाली बात हुई । कौन बनाया पत्रकार आपको?’ कुछ पल रुककर फिर बोले, ‘गरीब-गुरबा जिस-जिस व्यंजन के लिए लार टपकाता है, हम उसी-उसी व्यंजन को खाता हूँ । इ सुनकर उ लोग संतोष प्राप्त करता है । आज नेता खा रहा है, कल उ लोगन के नसीब होगा ।’
   इतना कहते हुए वे उठकर अपनी गोशाला की ओर बढ़ गए । हम लोग भी उनके पीछे-पीछे । वह एक गाय की पूँछ पकड़ते हुए बोले, ‘आपको सबूत चाहिए ना । हम गोबर की सौगंध खाकर कहता हूँ कि हमरा कोई सम्पत्ति नहीं । हम का करूँगा सम्पत्ति बनाकर । गरीब-गुरबा ही हमरा सम्पत्ति है ।’
   ‘मगर आप साबित क्या करना चाहते हैं गाय और गोबर से? जरा खुलके बताइए प्लीज ।’
   ‘गाय-गोबर से गरीब का नजदीकी नाता है और हमरा तो आप इ सब देख ही रहे हैं ।’ घूमते हुए कैमरे की नजर गाय के ऊपर पड़ते ही वह आगे बोले, ‘जिस प्रकार कोई कम्पनी होलोग्राम चिपकाती है अपने असली माल पर, उसी तरह गोबर और इ सानी-पानी हमरा होलोग्राम है । हम एक बार फिर कहता हूँ कि सरकार ने गरीब-गुरबा पर हमला किया है ।’

   हम सरकार का पक्ष जानने और सबूत की पड़ताल के लिए सीबीआई के दफ्तर का रुख करते हैं ।

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