किसी ने विजय माल्या को एक फूल देने तक की जहमत नहीं उठाई, पर वे खुद ही
माला पहनकर विदा हो गये । बेचारा हमारे बीच से उठ गया और हम सोते रह गये...मतलब
पंछी-पखेरू उड़ गया । हम कुछ कर न सके । नहीं जनाब, वो पूरी तरह खर्च नहीं हो गये,
वरन इंग्लैण्ड जाकर खर्च कर रहे हैं । जाहिर सी बात है कि वो करेंगे, तो शाहखर्ची
ही करेंगे । सरकारों के लिए राहत वाली बात है । पूर्व सरकार को सुकून है कि उसका
बोया बिरवा अब दैत्याकार दरख्त बन गया है । लगातार कर्ज लेकर उन्होंने सरकार की
नाक तो नहीं कटवाई न ! कर्ज लिया, तो किसी करोड़ीमल की तरह नदी-जल का सेवन नहीं किया,
बल्कि हमेशा घृत ही पिया । अब वो चले गये, तो उस सरकार का विलाप बनता है भाई ।
वर्तमान सरकार भी खुश है । एक महान कर्जयोगी, जो निरन्तर कर्ज से योग की
साधना करता रहा और इस देश को लाभान्वित करता रहा, अब इंग्लैण्ड वासियों से अपनी
प्रतिभा का लोहा मनवाएगा । ऐसे साधक को अगर सरकार गिरफ्तार कर लेती, तो पूरब से
पश्चिम तक उसकी थू-थू न हो जाती ?
उधर बैंक और बैंक वाले भी गद्गद् हैं । भूत तो चला गया, पर वह अपनी लंगोटी
नहीं समेट पाया । भागते भूत की लंगोटी सचमुच भली लगती है । सभी बैंक उस लंगोटी को
लूटने के लिए मैदान में हैं । उनके कुछेक पैसों पर उन्होंने दावा ठोंक दिया है ।
लोग कहते हैं कि बैंक कर्जदारों के प्रति कठोरता का परिचय नहीं देते । किसी जाते
हुए इंसान या भूत की लंगोटी लूटने में आपको कठोरता दिखाई नहीं देती ? बेचारा, जो जा रहा है, वह तो नंगा हो गया न ! उसके मानवाधिकार या भूताधिकार की रक्षा क्या
आपकी जिम्मेदारी नहीं है ?
जिम्मेदारी सभी की है । इसी क्रम में गाँव का घुरहू किसान भी प्रसन्न है ।
वह खुश है कि उन्होंने घृत तो अपने मुख पर लपेटा, पर चूना बैंकवालों के मुँह पर मल
दिया । दो हजार के कर्ज के लिए यही बैंकवाले उसके मुख पर भरे समाज में कालिख पोत
आए थे । इधर हमारे घर में भी जबर्दस्त उत्साह है । पत्नी कर्ज लेकर ठाठ करने की
योजना पर मुस्तैदी से विचार कर रही है । माल्या साहब के खोज किए गये सुरक्षित
रास्ते का अनुकरण हमें करना ही चाहिए ।
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