काम करने वाला बाबू नहीं हो
सकता । बाबू तो उसे कहते हैं जो काम नहीं करता । आप पूछ सकते हैं कि काम नहीं करता,
तो खाता कैसे है । यही तो इस जीव की खूबी है जनाब कि काम नहीं करता तो ही खाता है
। खिलाने वाले इसे काम न करने पर ही खिलाते हैं । बहरहाल बाबू की इन सच्चाईयों के
बीच एक सच्चाई यह भी आ रही है कि दिल्ली वाले बाबू काम करना चाहते हैं । उनमें काम
करने के लिए होड़ लगी हुई है ।
यह सच्चाई हमारे दफ्तर तक आ पहुँची
है । बाबू हताशा–निराशा के भँवर में डूब–उतरा रहे हैं । बड़े बाबू का तो हाल ही
बेहाल है । उन्हें लगने लगा है कि खतरा एकदम सिर पर आन बैठा है । नतीजे दिखाई भी
देने लगे हैं । पहले फाइल जितनी भारी होती थी, काम उतनी ही तेजी से सरकता था, पर
अब हल्की ही सरकानी पड़ रही है । फाइल स्वामी बाद में भारी करने की मौन
स्वीकृतियां देने लगे हैं । मौन स्वीकृति का क्या, भला इसकी गवाही देने कोई आया है
आज तक !
आज दोपहर हो आई
है और बड़े बाबू का गला सूखा हुआ है । इस समय तक तो मिनरल वाटर और स्प्राइट से
कितनी बार गला तर हो जाया करता था । मगही
पान के बड़े–बड़े बीड़े मुँह में ठसाठस रहते थे अलग से । उनकी दशा देख चपरासी
दफ्तर का ही पानी रख गया है गिलास में । शाम का समय अभी से उनके दिमाग में उतरने
लगा है । कैसे कर पाएंगे सामना घर में बीवी का । उसकी आवाज में मिर्ची की गन्ध
घुलने लगी है ।
उधर एक और सच्चाई झाँकने लगी है ।
ज्योतिषियों की चाँदी हो आई है । उनके यहाँ बाबुओं की ये लम्बी कतारें लगी हुई हैं
। ग्रह–दोष निवारण के लिए सभी पण्डित जी के शरणागत हैं । ग्रह–नक्षत्र बोलने लगे
हैं । शनि अत्यन्त वक्री होकर अमंगल भाव के साथ बाबुओं के मंगल स्थान में आ बैठा
है । पाँच साल तक उसके हिलने–डुलने की कोई संभावना नहीं है । जातकों को सलाह है कि
सवा ग्यारह रत्ती का कठोर काम का पत्थर लोहे की अंगूठी में जड़कर धारण करें । माया
की तरफ कदापि नजर न डालें । ऐसा करना उनके लिए भयंकर अमंगलकारी होगा ।
आने वाले अच्छे दिनों में बाबुओं की
ऐसी दुरावस्था ! कोई इस सच्चाई पर
भी तो दया–दृष्टि डाले ।
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