जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

क्यों मजबूत है अपनी शिक्षा का स्तम्भ ?

            
   साधो, सुना है कि अमेरिका में प्रतिभा की बड़ी पूछ है । हमारे देश में भी प्रतिभा की ही पूछ होती है । समाजवादी लोग तो इसके अलावा किसी और चीज को घास तक नहीं डालते । प्रतिभा-निर्धारण का अमेरिकी मानदंड अति संकीर्ण है । सुव्यवस्थित, स्व-अनुशासन और स्व-परिश्रम से पढ़े-लिखे लोगों को ही वह योग्य और प्रतिभावान मानता है । इस तरह से प्राप्त योग्यता को छोड़कर अन्य सारी चीजें हमारे यहाँ प्रतिभा की श्रेणी में आती हैं । अत: इस देश का प्रतिभा-निर्धारण का मानदंड वास्तव में बहुत व्यापक है ।
   शिक्षा का क्षेत्र, जहाँ योग्यता और प्रतिभा की सख्त जरूरत होती है, हम केवल प्रतिभाशाली लोगों का ही चयन करते हैं । यह तो स्पष्ट ही है कि हमारे अपने व्यापक मानदंड हैं । एक शिक्षक के लिए सबसे पहली योग्यता यह है कि वह उच्च कोटि का नकलनवीस हो । नकल करके पास हुआ हो, नकल करने की सूक्ष्म-से-सूक्ष्म तकनीक को जानता हो, नकल में इनोवेशन को सदैव प्रयासरत हो तथा नकल के क्षेत्र में हो रही खोजों से अपने को अपडेट रखता हो । हमारे यहाँ यूँ ही नहीं कहा गया है कि नकल के लिए अकल की जरूरत होती है । एक नकलनवीस शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों में नकल की प्रतिभा की बुनियाद रख सकता है ।
   एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति शिक्षक बनने के अयोग्य होता है, क्योंकि वह उचित-अनुचित, ईमानदार-भ्रष्ट, विश्वास-धोखा आदि के बीच भेद करने लगता है । समाजवाद इन भेदों को स्वीकार नहीं करता । वह सभी को एक नजर से देखता है । इस देश को समाजवाद की जरूरत है, इसलिए पढ़े-लिखे व्यक्ति अयोग्य साबित होते हैं ।
   जुगाड़ और सेवा-भाव में पारंगत होना एक अन्य योग्यता है । पहले शिक्षकों की नियुक्ति प्रबंधक या स्थानीय नेताओं के हाथ में हुआ करती थी । सेवा-भाव से समर्पित या जुगाड़ का धनी व्यक्ति मेवा की मलाई मार लेता था । नियुक्त करते समय यह नहीं देखा जाता था कि बंदा पढ़ा-लिखा भी है या नहीं । अगर देख लिया जाता, तो समाज में प्रचलित उस कहावत का क्या होता कि शिक्षक बनने के लिए पढ़ने-लिखने की जरूरत नहीं होती है । अब नियुक्ति के तरीके बदल गये हैं । मेरिट देखा जाता है या परीक्षा होती है । यह परीक्षा वास्तव में इस बात की जाँच के लिए होती है कि सामने वाला जुगाड़ में कितना मेरिटवान’ है ।
   अब अगर इतनी योग्यता न रखने वाला व्यक्ति प्रतिभा-पूछक अमेरिका में चला जाए, तो इसमें अपने देश का क्या कसूर है ?

  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लोकप्रिय पोस्ट