साधो, उत्तम का निर्माण निकृष्ट कार्य है । उत्तम
की हवाई योजना बनाना कुछ–कुछ अच्छा है, किन्तु उत्तम–उत्तम
चिल्लाना सर्वोत्तम है । यह उत्तम प्रदेश का उत्तम सुभाषित है । हर बात पर नाक–भौं सिकोड़ने वाली, हर किए की बखिया उधेड़ने वाली,
सरकार पर हर समय लानत–मलामत भेजने वाली आम जनता
उत्तम का राग भला किस तरह गा सकती है । उत्तम का ज्ञान तो सत्ता में बैठते ही हो जाता
है । जहाँ उत्तम–उत्तम की ही काँव–काँव
मची हो, वहाँ आप यह समझने में देर मत लगाइये कि आप उत्तम प्रदेश
की ठंडी एवं घनी छाँव में हैं । आइए, इस प्रदेश की उत्तमता को
विभिन्न कसौटियों पर कसते हैं ।
उत्तम
कहलाने के लिए सबसे पहले शिक्षा की बात आती है । जनता को शिक्षित बनाना यहाँ की सरकार
का काम नहीं है, क्योंकि अशिक्षित ही वास्तव में सरकार के काम
आते हैं । अतः अशिक्षित बनाने के इस अभियान में अशिक्षित ही उत्तम साबित हो सकते हैं
। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार लाखों अशिक्षितों को शिक्षा का सरकारी आचार्य बना
रही है । इनके ऊपर लोगों को अशिक्षित बनाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । जनता शिक्षा
से जितनी बेजान होती है, सत्ता के पाए में उतनी ही जान आती है
। इस तरह जितने अशिक्षित होंगे, सरकार की मजबूती उतनी अधिक होगी
और तद्नुसार मजबूत सरकार प्रदेश की उत्तमता को बनाए रख सकेगी ।
उत्तम
कहलाने की एक और कसौटी चारित्रिक स्वास्थ्य है । अक्सर सत्ता में बैठे लोगों पर यह
तोहमत लग जाता है कि वे समय बीतने के साथ निठल्ले होते जाते हैं, किन्तु उत्तम प्रदेश के नेता कतई निठल्ले नहीं हैं । रामपुर से लेकर रहमानपुर
तक सिर्फ जबान ही नहीं चल रही, चाकू–छुरी
और बन्दूक भी चल रही है । इधर कुछ मंत्री अपनी अदाकारी से जनता को मोहित करने की भरपूर
कोशिश कर रहे हैं । एक ने हाथ उठाया है दूसरे पर, तो दूसरे ने
दूसरे के जिस्म को ही उठा दिया है । सरकार चिंता में डूब गई है । उत्तम प्रदेश की यही
निशानी होती है । जनता खुश है कि सरकार चिंता में डूब गई है । अब यह जरूर कुछ करेगी
। सरकार को यह चिंता खाए जा रही है कि वह कैसे जनता को मूर्ख बनाए और अपने मंत्रियों
को बचाए । सरकार की सक्रियता बढ़ गई है ।
योजनाओं,
सेवाओं और सुविधाओं के मामले में उत्तम प्रदेश आज की तारीख में सौ टंच
खरा उतर रहा है । उत्तम योजनाएं बन रही हैं । अब यह अलग बात है कि उनके ईमानदारी से
पूरा होने की गारन्टी
सरकार के पास नहीं है, पर बिजली के झटके उसके पास हैं । चुनाव
बाद ही जनता का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था । वह असंतुलित होकर सोचने लगी थी कि कहीं
इस सरकार को लाकर उसने गलती तो नहीं कर दी । उसके मानसिक संतुलन को बरकरार रखने के
लिए ही सरकार बिजली के झटके दिए जा रही है ।
चुनाव
के दौरान जनता ने नेताओं से सड़कों की खूब खाक छनवाई थी । अब सड़क के गड्ढों में गिरा–गिरा कर सरकार उनका उधार चुकता कर रही है । उत्तम प्रदेश अपनी जनता का कर्ज
अपने माथे पर उधार नहीं रखता । अगर इन गड्ढों में गिरने के बाद आपने चीखने की
दिलेरी दिखा दी और यहाँ की उत्तम पुलिस अपने डंडे से आपकी पीठ पर इतिहास रचने से
चूक जाए तो समझिए अब आप किसी और प्रदेश की ठाँव में हैं ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " जलियाँवाला बाग़ नरसंहार के ९७ वीं बरसी - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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