मंगल और चाँद से
मंगलकारी खबरें आ रही हैं । धरती पर अमंगल मचाने वाले लोग पूरे जोश में हैं । वहाँ
पर बसने के मैराथनी दौड़ में जबर्दस्त प्रतियोगिता और टांग-खिचाई जारी है ।
इस दौड़ में
सबसे आगे वेलेंटाइन प्रेमी हैं । धरती पर उनका वेलेंटाइनी प्रेम खतरे में है ।
खुल्लम-खुल्ला प्रेम और बीच सड़क पर प्रेम का इजहार न किया, तो भला प्रेम कैसा ! मर्यादित तरीके से प्रेम कर लिया, तो यह किस बात का
वेलेंटाइन प्रेम ! ये प्रेमी अपनी
आजादी में किसी किस्म का खलल नहीं चाहते, पर हमेशा बाधा उत्पन्न हो जाती है ।
दौड़ में इन
प्रेमियों के पीछे शिव सैनिक चिपके हुए हैं । मर्यादा की प्रारम्भिक जिम्मेदारी
इन्हीं सैनिकों की है । वेलेंटाइन प्रेमियों की कुटाई के बिना इनकी बहादुरी अधूरी
है । मतलब जहाँ वेलेंटाइन प्रेमी, वहाँ शिव सैनिक । इन सैनिकों की कई बटालियनें
वहाँ पहुँचने की फिराक में हैं ।
सैनिकों के पीछे
कांग्रेसी खड़े हैं । अब इस धरती से उनका दाना-पानी उठने को है । कांग्रेस आजादी
की फसल काटने की उस्ताद है । मंगल और चाँद पर आजादी के लिए संघर्ष करने की जरूरत
नहीं है, किन्तु फसल काटने के लिए तो कोई होना चाहिए । इस लिहाज से कांग्रेस के
वहाँ बसने का हक बनता है । उसके हक का सम्मान होना ही चाहिए ।
इन ग्रहों पर
अभी इतिहास की शुरुआत करनी है । इतिहास की शुरुआत होगी, तो उसको कलमबंद करने वाले
भी चाहिए होंगे । इस काम के लिए वहाँ ठेका निकालना पड़ेगा । धरती पर तो इतिहास को
लिखने का ठेका कम्युनिस्टों के पास रहा है । वहाँ भी इतिहास पर सर्वप्रथम अधिकार
इन्हीं का बनता है । अतः बसने की दौड़ में ये भी आगे बने हुए हैं ।
घोटालेबाज और
भ्रष्टाचारी भी बहुत पीछे नहीं हैं इस दौड़ में । वहाँ इनके बसने के अधिकार पर
बहुत लोगों को आपत्ति हो सकती है । पर इनका वहाँ जाना अत्यन्त आवश्यक है । धरती पर
घोटाले और भ्रष्टाचार देखने के लोग इतने आदी हैं कि वहाँ ये सब चीजें न होने पर
बेचैनी का अहसास होगा । इस काम के लिए नेता और बाबू पर्याप्त होंगे ।
धरती से खिन्न
हो चुके लोग तो बेसब्री से इंतजार में हैं कि कब सुनने को मिले...चलो दिलदार
चलो...
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