जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

गरीबी का धंधा


                      

   आज बाबा को हल और हाथ की बड़ी याद आ रही है । कांग्रेस का हाथ खाली है । कहने को कुछ है भी, तो बेरोजगारी की थाली है । वह गरीबी का धंधा करती थी । होल-सेल रेट पर गरीबी-हटाओ के सपने बेचती थी । बीस-सूत्री कार्यक्रम का आयोजन उसकी तरफ से महा-सेल था । डिस्काउंट तो न जाने कितनी बार दिया गया । गरीबी के साथ बेरोजगारी एक पर एक फ्री ऑफर की तरह था । साठ सालों तक धंधा खूब चोखा चला । पर इधर ग्राहकों का टेस्ट बदलने लगा । इस धंधे में मंदी आने लगी । सामान बिकना बन्द हो गया ।

   एक समय था, जब हल और हाथ के सहकार की जरूरत थी । किसान हल चलाता था और निराई-गुड़ाई-कटाई के लिए मजदूर की जरूरत पड़ती थी । हल की जगह ट्रैक्टर आ गये और किसानों की बेरोजगारी की नींव पड़ गई । अब खेत में केवल मजदूर का काम था । इस तरह किसान आधा मजदूर बन गया । हाथ...मतलब मजदूर के दिन फिर गये । डिमांड इतनी बढ़ी कि ये कई राज्यों को निर्यात होने लगे । हाथ का आयात करने वाले किसान उद्योगपति की भूमिका में आ गये । उद्योग की अच्छाई तो न आई, किन्तु बुराई सरपट दौड़ती आई । हल हाथ का शोषक बन गया ।

   हाथ पर एक और बिजली गिरी । मनरेगा तड़ित बनकर उतरा । हाथ को काम देने के लिए आया, किन्तु ग्राम-प्रधानों के हाथ का हथियार बनकर हाथ का शिकार कर डाला । वे हाथ जो हल से अलग काम कर रहे थे, राज्यों की राजनीतिक पाटों के बीच पिसने के लिए अभिशप्त होते चले गये । उद्योग तो पहले से ही उन्हें पीस रहा था ।

   ऐसे में बाबा की हुंकार बहुत मायने रखती है । वे खेतों में किसानों के बीच जा रहे हैं । हल और हाथ की पुकार होने लगी है । हल के साथ समस्या यह है कि ट्रैक्टर वाले ही आ रहे हैं । हाथ की कमी नहीं है । ये सारे हाथ तो थे ही, अब कांग्रेसी-हाथ भी आ जुड़े हैं । बाबा हल और हाथ के साथ शेक-हैंड करना चाहते हैं । सभी बेरोजगारों, अर्ध-बेरोजगारों का महामिलन होगा, तभी कोई गुल खिलेगा । आँसू बहाना नहीं...उस राज्य में गठबंधन का गुल खिलाना याद है...

   लोग कहते हैं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, पर उस राज्य में तो चढ़ी ही चढ़ी है । गरीबी का एक बार फिर धंधा कर कांग्रेसी बेरोजगारी दूर करने की बाबा की कोशिश एकदम सही दिशा में है ।       

  

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