जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

बाबा पर यूँ शक ना लाओ

    
                     
   वे कोई ऐरे-गैरे बाबा नहीं हैं, हमारे-आपके घरों के बाबाओं की तरह । वे देश के बाबा हैं, इसीलिए खास हैं । मामूली घरों के बाबा भी प्यार-दुलार तो खींच ही लेते हैं । खिलौनों से खेलना और जी भर जाए, तो उसे तोड़ देना उनका हक बनता है । तो क्या बाबा का हक नहीं बनता कि वे भी खेल खेलें । उनके लिए तो पूरा देश ही खिलौना है ।
    हमें आभार मानना चाहिए उन साहेबान का, जिन्होंने देशवासियों को बताया कि अपनी माँ के अतिरिक्त देश की भी एक माता होती है । उन्हीं की बदौलत देशवासी देश की माता को जान-समझ पाए, अन्यथा वे तो विस्मृति और अज्ञानता के गर्त में डूबे हुए थे । देश के बाबा होंगे, तो क्या देश की माता का अस्तित्व नहीं होगा ?
    पार्टी या देश का सर्वोच्च पद तब तक अपने को धन्य नहीं मान सकता, जब तक बाबा उस पर सुशोभित न हों । सोचने वाली बात ये है कि उस पद के लिए ऐसे कौन से गुण हैं,  जो बाबा में नहीं हैं । बाबा तो सर्वगुणसम्पन्न हैं । सबसे पहले तो वे उस परिवार से आते हैं, जिसकी सेवा यह देश पिछले साठ सालों से लेता आया है । सेवा के मेवा पर उन्हीं का हक है । वे झूठ बोलने में उस्तादी ग्रहण करने के निकट हैं । झूठ बोलना राजनीति का खास स्तम्भ है । उनकी दृढ़ता कमाल की है । एक बार मुँह से सूट-बूट निकल गया, तो उस पर युगों तक अटल बने रहेंगे । अज्ञातवास में जाने की उन्हें महारत हासिल है । वे अक्सर अपने लोगों को बीच मझधार में छोड़ विदेशी अज्ञातवास में चले जाते हैं, शारीरिक और मानसिक शक्ति संग्रहित करने । यहाँ यह आरोप प्रथम-दृष्टया सही नजर आने लगता है कि बाबा को ब्रिटेन की नागरिकता हासिल है ।
    बाबा पर उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर उनकी अपनी ही पार्टी के लोगों को शक है ।  नेतृत्व सृजन के लिए भी होता है और विध्वंस के लिए भी; किसी को आगे बढ़ाने के लिए भी होता है और किसी की टांग खींचने के लिए भी । ध्यान से देखा जाए, तो उन्होंने प्रधानमंत्री की टांग को मजबूती से पकड़ रखा है और उसे अनवरत खींचने के उपक्रम में लगे हुए हैं । क्या यह उनकी नेतृत्व क्षमता का सुबूत नहीं है ?

    बाबा पर शक करना देश पर शक करना है और देश पर शक नहीं किया जाता ।

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