जीवन व समाज की विद्रुपताओं, विडंबनाओं और विरोधाभासों पर तीखी नजर । यही तीखी नजर हास्य-व्यंग्य रचनाओं के रूप में परिणत हो जाती है । यथा नाम तथा काम की कोशिश की गई है । ये रचनाएं गुदगुदाएंगी भी और मर्म पर चोट कर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश भी करेंगी ।

मंगलवार, 31 मई 2016

चुनावी पीड़ा और ऑपरेशन राजतिलक

             
   राजमाता लोमड़ी इस वक्त अपने सिंहासन से चिपक कर बैठी हुई हैं । दोनों हाथ उसे कसकर पकड़े हुए हैं । हालांकि सिंहासन के छिन जाने का कोई डर नहीं है । जो भी हैं दल में, वे सब दास हैं मन, वचन और कर्म से । उनकी वाणी देववाणी है और उनके संग बैठने का अवसर किसी महा-सत्संग के बराबर है । उनकी टेढ़ी भृकुटि किसी भी अंदरूनी विवाद रुपी मेढक को खा जाने के लिए साँप के समान है । कहने की जरूरत नहीं कि उनके दल में बल है, अर्थात गजब की एकता है । बीच-बीच में दादुर, चातक, पपीहे बोलते रहते हैं, पर कुल मिलाकर एकता का साम्राज्य है । खुशी की इस बात के बीच चिंता की बात ये है कि उनका वास्तविक साम्राज्य सिकुड़ रहा है । चुनावों ने नाक में दम कर रखा है । हर चुनाव में जमीन खिसक जा रही है । उधर जमीन खिसकती है, इधर दल के दादुर प्राण-रक्षा के लिए टर्राने लगते हैं...यज्ञ, आहुति, ऑपरेशन, सर्जरी की बातें करने लगते हैं ।
   दरबारी दासों का मन रखने के लिए ही इस खास सभा का आयोजन किया गया है । न केवल उत्तम कोटि के दरबारी उपस्थित हैं, बल्कि स्वयं युवराज और भूतपूर्व प्रधानमंत्री भेड़ भी दरबार की शोभा को चार-चाँद लगा रहे हैं । कुर्ते की आस्तीनों को बार-बार चढ़ा-चढ़ाके युवराज अपनी विशेष पहचान को रूपायित कर रहे हैं । पूर्व प्रधानमंत्री मौन की माला फेरने में व्यस्त हैं ।
   तभी राजमाता की कठोर और कर्कश आवाज गूँजती है-कुछ वन-क्षेत्रों में हमें हाल के दिनों में विफलता का सामना करना पड़ा है, जिससे हमारे सेवक हतोत्साह की मुद्रा में हैं । उनके मन में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा है कि अब हमारा साम्राज्य विस्तार को प्राप्त नहीं होगा । मैं उनसे कहना चाहती हूँ कि यह विफलता बहुत दिनों तक नहीं चलने वाली...शास्त्रों में भी यही लिखा है । आप सब हमारे साथ यह मंत्र पाँच बार दोहराइए ।
   पूरा दरबार मंत्र की ध्वनि से गूँज उठता है । दरबारियों में अजब चेतना व गजब उर्जा का समावेश हो जाता है । इस उर्जा से लबरेज एक राज्य-पोषित सांड उठ खड़ा होता है । उसकी विशेषता है कि वह दूसरे के खेतों में मुँह मारने का उस्ताद है । कोई और खेत दिखाई नहीं पड़ता, तो वह अपने ही खेत में मुँह मारकर जुगाली करने लगता है । इस वक्त उसके मुँह में अपने ही खेत की सूखी घास भरी हुई है । वह राजमाता की ओर सिर झुकाते हुए कहता है-माते, आज आपको कठोर निर्णय लेना ही होगा । दरबार में बहुत सारे सफेद हाथी हो गए हैं, जिनका भार दल पर शत्रु की मार की तरह पड़ रहा है । इन्हें अब संन्यास में भेज देना चाहिए ।
   बहुत अच्छा सुझाव है आपका, पर ये हाथी हमारे दरबार की शोभा हैं । इनकी बदौलत ही हमारा दरबार दीर्घायु को प्राप्त हुआ है । दरबार चलता रहे, इसके लिए हमेशा ऐसे दरबारियों की जरूरत होती है । संन्यास में चले जाने पर ये हमारा गुण-गान कैसे करेंगे?
   राजमाता के इतना कहते ही पूरा दरबार तालियों की गूँज से भर उठता है । सभी राजमाता की महाअक्ली की प्रशंसा करने लगते हैं ।
   पर राजमाता, चुनावों में निरन्तर हार एक सच्चाई है । हार का फोड़ा नासूर भी बन सकता है । सांड एक बार फिर खड़ा हो गया है । लोकतंत्र की मर्यादा का ध्यान रखते हुए उसकी आवाज और विनम्र हो गई है । उसकी नजरें जमीन में गड़ी जा रही हैं । राजमाता की आँखों में आँखें डालकर वह लोकतंत्र के हनन की हिमाकत नहीं कर सकता ।
   लोकतंत्र और अपने प्रति उसकी निष्ठा देखकर राजमाता गद्गद् हो उठती हैं । वे ऐलान करती हैं-ऑपरेशन होगा और बहुत बड़ा ऑपरेशन होगा । आप सब की इच्छाओं का असम्मान हम नहीं करेंगे । अभी तक छोटे-मोटे ऑपरेशन होते रहे हैं, पर इस बार सचमुच बड़ा होगा...इतना बड़ा कि शत्रु की बोलती बंद हो जाए ।
   सारे दरबार में खुसर-पुसर होने लगती है । राजमाता जो भी करेंगी, अच्छा करेंगी । दल को आगे ले जाने का सवाल जो ठहरा । उनका इशारा पाते ही सेवक दौड़ लगाते हैं । तत्क्षण पंडित उपस्थित हो जाते हैं । राजतिलक की सारी सामग्री पलक मारने की देरी में दिखाई देने लगती है । दरबारी सारी बात समझते ही खुशी के अतिरेक में गधे की तरह लोट-पोट होने लगते हैं ।

   सिंहासन लाया जाता है । पंडित मंत्रोच्चार से दरबार को फाड़ने लगते हैं । राजमाता युवराज को सिंहासन पर आसीन होने का इशारा करती हैं । युवराज आगे बढ़ते हैं, किन्तु सिंहासन पीछे खिसक जाता है । वे और आगे बढ़ते हैं, वह और पीछे खिसक लेता है । तभी लपककर दरबारी सिंहासन की टांगें पकड़ लेते हैं और खींचा-खिंची शुरु हो जाती है । इस धक्कमपेल में युवराज पीछे धकेल दिए जाते हैं, पर ऑपरेशन राजतिलक चलता रहता है । 

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